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जनसुविधाओं का संबंध हमारी बुनियादी जरूरतों से होता है। ये वे बुनियादी जरूरते हैं जो जिंदा रहने के लिए जरूरी होती है। भारतीय संविधान में स्वास्थ्य, शिक्षा आदि अधिकारों को जीवन के अधिकार का हिस्सा माना गया है। इस प्रकार सरकार की एक अहम जिम्मेदारी बनती है कि वह प्रत्येक व्यक्ति को पर्याप्त जनसुविधाएँ मुहैया कराए। भोजन, पानी, आवास, बिजली, स्वास्थ्य सुविधाएँ, शिक्षा, सार्वजनिक परिवहन प्रणाली आदि प्रमुख जनसुविधाएँ हैं जिनका हर व्यक्ति के लिए इंतजाम किया जाना चाहिए।

Jan Suvidha  in Hindi - प्रमुख जन सुविधाएँ

किसी जनसुविधा की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता यह होती है कि एक बार निर्माण हो जाने के बाद उसका बहुत सारे लोग इस्तेमाल कर सकते हैं। उदाहरणार्थ किसी इलाके में बिजली की आपूर्ति बहुत सारे लोगों के लिए फायदेमंद हो सकती है। किसान अपने खेतों की सिंचाई के लिए पंपसेट चला सकते हैं, लोग बिजली से चलने वाली छोटी-मोटी वर्कशॉप खोल सकते हैं, विद्यार्थियों को पढ़ने लिखने में आसानी हो जाती है और किसी न किसी तरीके से गाँव के अधिकांश लोगों को फायदा होता है।
Jan Suvidha in Hindi
Jan Suvidha in Hindi 



जीवन के अधिकार के रूप में पानी:


जीवन और स्वास्थ्य के लिए पानी आवश्यक है। यह न केवल हमारी दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए आवश्यक है, बल्कि पीने का साफ पाना दूषित पानी से होने वाली बहुत सारी बीमारियों को भी रोक सकता है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के अन्तर्गत पानी के अधिकार को जीवन के अधिकार का हिस्सा माना गया है। इसका मतलब यह है कि अमीर-गरीब हर व्यक्ति का यह अधिकार है कि उसे सस्ती कीमत पर दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी मिले अर्थात् सबकी पानी तक सार्वभौमिक पहुँच होनी चाहिए। 
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, "जल अधिकार का मतलब है कि प्रत्येक व्यक्ति को व्यक्तिगत और घरेलू इस्तेमाल के लिए पर्याप्त सुरक्षित, स्वीकार्य, भौतिक रूप से पहुँच के भीतर और सस्ती दर पर पानी मिलना चाहिए।

शिक्षा का अधिकारः 

भारतीय संविधान 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों के सभी बच्चों को शिक्षा के अधिकार की गारन्टी देता है। इस अधिकार का महत्त्वपूर्ण पहलू यह है कि सभी बच्चों को समान रूप से स्कूली शिक्षा उपलब्ध हो। संविधान के नीति निर्देशक तत्त्वों में अनुच्छेद 45 में 14 वर्ष तक की आयु के बालकों को निःशुल्क अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा की व्यवस्था करने का निर्देश दिया गया है। इसी परिप्रेक्ष्य में संसद द्वारा 2002 में 86वाँ संविधान संशोधन अधिनियम पारित कर अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा को बालकों का मूल अधिकार [अनु.21क] बना दिया है। 1 अप्रैल, 2010 से सरकार ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE Act) लागू कर दिया है एवं इस मूल अधिकार को क्रियान्वित किया है।

सार्वजनिक परिवहन प्रणाली:

कम दूरी के लिए बसें ही सार्वजनिक परिवहन का सबसे महत्त्वपूर्ण साधन है। ज्यादातर कामकाजी लोग बसों से ही अपनी मंजिल तक पहुँचते हैं। अत: सरकार को इस जनसुविधा को उपलब्ध कराने हेतु सार्वजनिक बस प्रणाली के सुधार पर ध्यान देना चाहिए।

मुंबई की उपनगरीय रेल्वे एक अच्छी सार्वजनिक परिवहन प्रणाली है। यह दुनिया का सबसे घना यातायात मार्ग है। यह रेल्वे हर रोज 65 लाख यात्रियों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाती है। 300 किमी. से भी ज्यादा लंबे नेटवर्क पर चलने वाली इन स्थानीय ट्रेनों के जरिए दूर-दूर तक रहने वाले लोग भी शहर में काम ढूँढने आते हैं। शहरों में रहन-सहन की भारी लागत के कारण साधारण मेहनतकश लोग शहर में नहीं रह सकते । अत: उपनगरीय रेल्वे उनके लिए सर्वोपुयक्त परिवहन माध्यम है।

वर्तमान में लोगों को स्थानीय सुलभ व तीव्र यातायात सुविधा उपलब्ध कराने हेतु बड़े नगरों में मेट्रो ट्रेन एवं मोनो रेल सुविधाएँ उपलब्ध कराई जा रही हैं। दिल्ली मेट्रो ने अपने प्रारंभ से लेकर वर्तमान तक दिल्ली की जीव रेखा का रूप ले लिया है। अब मुम्बई, बैंग्लौर, चेन्नई, जयपुर, नोएडा, हैदराबाद, अहमदाबाद, लखनऊ आदि शहरों में भी मेट्रो रेल प्रारंभ कर दी गई है। इसके अलावा अब ओला एवं ऊबर जैसी कैब सेवा कंपनियाँ समुचित दरों पर मोबाइल एप के माध्यम से लोगों को स्थानीय यातायात सुविधाएँ प्रदान कर रही हैं जो अब अत्यधिक लोकप्रिय हो गई हैं।

स्वच्छता संबंधी जनसुविधाएँ:

भारत में स्वच्छता सुविधाओं का दायरा तो जलापूर्ति से भी छोटा है। भारत के 68 प्रतिशत परिवरों के पास पेयजल की सुविधा उपलब्ध है, जबकि स्वच्छता सुविधाएँ (घर के भीतर शौचालय) 36 प्रतिशत परिवारों में ही उपलब्ध है।
गैर-सरकारी संगठन 'सुलभ इंटरनेशनल' द्वारा बस स्टैण्ड एवं रेलवे स्टेशन आदि पर बहुत ही कम लागत पर शौचालय सुविधाएँ प्रदान की जा रही हैं। साथ ही इसके द्वारा कई स्थानों पर प्रदत्त इन सुविधाओं का उपयोग गरीब एवं पिछड़े वर्ग के लोगों द्वारा किया जा रहा है। इस प्रकार यह निम्न जाति एवं निम्न आय वर्ग के लोगों के सामने मौजूद स्वच्छता के अभाव की समस्या से निपटने के लिए कोशिश कर रहा है। सुलभ की सुविधाओं का इस्तेमाल करने वाले ज्यादातर गरीब मेहनतकश वर्ग के लोग होते हैं। सुलभ ने सरकारी पैसे से शौचालय इकाइयाँ बनाने के लिए नगरपालिकाओं या अन्य स्थानीय निकायों के साथ अनुबंध भी किए हैं। स्थानीय विभाग इन सेवाओं की स्थापना के लिए जमीन और पैसा मुहैया कराते हैं जबकि रख रखाव की लागत कई बार प्रयोक्ताओं से मिलने वाले पैसे से पूरी की जाती है। शहरों में शौचालयों के इस्तेमाल पर एक रुपया शुल्क लिया जाता है। 

स्वच्छ भारत मिशन : 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने देश में स्वच्छता को प्रोत्साहित करने हेतु 2 अक्टूबर, 2014 से स्वच्छ भारत मिशन' कार्यक्रम प्रारम्भ किया है। इस कार्यक्रम में 2 अक्टूबर, 2019 तक संपूर्ण देश में अच्छे स्तर की स्वच्छता सुनिश्चित करने का लक्ष्य है। इस कार्यक्रम में केन्द्र एवं राज्य का 75 : 25 प्रतिशत का वित्तीय योगदान है। इसके मुख्यतः दो घटक हैं 
1.खुले में शौच मुक्त (ODF: 0pen Defecation Free)
2. ठोस कचरा प्रबंधन (Solid Waste Management) 

26 जनवरी, 2016 को बीकानेर जिला खुले में शौच से मुक्त घोषित किया गया। बीकानेर जिला प्रदेश का पहला व देश का दूसरा पूर्ण रूप से 'ओडीएफ' घोषित जिला है।

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाए : 

देश के नागरकिों को बेहतर स्वास्थ्य के लिए उन्हें समय पर अच्छी व गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सुविधाएँ उपलब्ध कराया जाना आवश्यक है। इस हेतु सरकार स्थान-स्थान पर चिकित्सालय एवं डिस्पेंसरियाँ स्थापित करती है एवं बड़े शहरों में स्पेशलिटी सेवाएं प्रदान करने की व्यवस्था करती है। विभिन्न रोगों से बच्चों की सुरक्षा हेतु विभिन्न टीकाकरण कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं, जिनकी बदौलत देश में चेचक एवं पोलियो जैसे खतरनाक संक्रामक रोगों से निजात मिल सकी है। 
इसके अलावा गर्भवती महिलाओं एवं शिशुओं तथा कक्षा 8 तक के बालकों को विभिन्न पोषण सुविधाएँ निःशुल्क प्रदान की जा रही हैं ताकि न केवल उनका समुचित शारीरिक विकास हो बल्कि उनमें रोगों से लड़ने की प्रतिरक्षा क्षमता भी समुचित स्तर तक विकसित हो सके। राजस्थान सरकार ने लोगों को चिकित्सा सेवा निःशुल्क उपलब्ध कराने के क्रम में सरकारी अस्पतालों में निःशुल्क दवाएँ उपलब्ध कराई जा रही हैं एवं कई जाँचें निःशुल्क कर दी गई हैं ताकि गरीब व्यक्ति भी समुचित चिकित्सा सेवा का लाभ ले सके। प्रशिक्षित डॉक्टरों की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु नये मेडिकल कॉलेज स्थापित किये जा रहे हैं।

गरीब कमजोर वर्गों को अच्छी चिकित्सा सुविधाएँ नि:शुल्क प्रदान करने के लक्ष्य से केन्द्र सरकार ने 23 सितम्बर, 2018 को 'आयुष्मान भारत योजना प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) प्रारंभ की है। इस योजना में प्रतिवर्ष प्रति परिवार 5 लाख रु. तक का मेडिकल बीमा किया जाता है। इस योजना में देश में अगले 5 वर्षों में (2023 तक) 1500 वेलनेस सेंटर स्थापित किये जाएँगे एवं प्रधानमंत्री आरोग्य मित्र बनाये जाएँगे जो स्वास्थ्य सेवा को प्रदान करना सुविधाजनक बनायेंगे।

राष्ट्रीय पोषण मिशन : 

देश में कुपोषण को जल्दी एवं प्रगतिशील तरीके से समाप्त या कम करने हेतु 8 मार्च, 2018 को इस पोषण अभियान की शुरुआत की गई। इस कार्यक्रम में बच्चों में बौनापन कुपोषण, खून की कमी एवं कम वजन के बच्चों के जन्म को रोकने हेतु प्रयास किये जा रहे हैं। इस अभियान के माध्यम से कुपोषण मुक्त भारत के लक्ष्य को हासिल किया जाएगा। 

विद्युत सुविधा : 

वर्तमान समय में विद्युत एक अनिवार्य जनसुविधा का रूप ले चुकी है। हम अपने अनेक दैनिक कार्यों हेतु विद्युत पर निर्भर हैं। अत: सरकार का प्रयास रहता है कि देश के सभी लोगों को समुचित मात्रा में विद्युत सप्लाई उपलब्ध करा सके। वर्तमान में सरकार ने 90% से भी अधिक गाँवों में विद्युत सुविधा उपलब्ध करा दी हैं। जिन गाँवों में अत्यधिक दूरी के कारण विद्युत लाइन नहीं पहुंच पा रही हैं वहाँ सौर ऊर्जा के माध्यम से या बायो गैस संयंत्रों के माध्यम से विद्युत की व्यवस्था की जा रही है।

सरकार की भूमिकाः 

चूँकि जनसुविधाएँ इतनी महत्त्वपूर्ण हैं, अतः उन्हें मुहैया करने की जिम्मेदारी सरकार पर डाली गई है। इसके निम्र कारण हैं-
1. निजी कम्पनियाँ मुनाफे के लिए चलती हैं जबकि ज्यादातर जनसुविधाओं में मुनाफे की गुंजाइश नहीं होती। अत: निजी कंपनियां इन सुविधाओं में कोई खास रुचि नहीं लेती। स्कूल और अस्पताल जैसी कुछ जनसुविधाओं में निजी कंपनियाँ दिलचस्पी लेती हैं लेकिन उनकी कीमत इतनी ज्यादा होती है कि चंद लोग ही उसका खर्च उठा पाते हैं। यह सुविधा सही दर पर सभी लोगों के लिए उपलब्ध नहीं होती। अतः सरकार को ही इस हेतु आगे आना पड़ता है।

2. जनसुविधाओं का संबंध लोगों की मूलभूत सुविधाओं से होता है। किसी भी आधुनिक समाज के लिए जरूरी है कि वहाँ इन सुविधाओं का इंतजाम हो ताकि लोगों की मूलभूत जरूरतें पूरी की जा सकें । संविधान में जीवन के अधिकार का जो आश्वासन दिया गया है वह देश के सभी लोगों को प्राप्त है। इसलिए जनसुविधा मुहैया कराने की जिम्मेदारी सरकार पर ही डाली गई है। सरकार पूरी आबादी के लिए समुचित स्वास्थ्य सुविधाओं की व्यवस्था करने में अहम भूमिका निभाती है। पोलियो जैसी बीमारियों का उन्मूलन भी इसी तरह की योजनाओं के तहत आता है।
सरकार कुछ जनसुविधाओं के लिए निजी कंपनियों का भी सहारा ले सकती है। उदाहरण के लिए सड़कें बनाने के ठेके निजी कंपनियों या ठेकेदारों को भी दिए जाते हैं। लेकिन सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे इन सुविधाओं को सस्ती कीमत पर सभी लोगों तक पहुँचाने के लक्ष्य को पूरा करने में कोई कसर न छोड़े। वर्तमान में जनसुविधाओं की आपूर्ति में कमी है और वितरण में भारी असमानता दिखाई देती है। महानगरों और बड़े शहरों के मुकाबले कस्बों और गाँवों में तो इन सुविधाओं की स्थिति और भी खराब है। सम्पन्न बस्तियों के मुकाबले गरीब बस्तियों में सेवाओं की स्थिति कमजोर है। इन सुविधाओं को निजी कंपनियों के हाथों में सौंप देने से समस्या हल होने वाली नहीं है। देश के प्रत्येक नागरिक को इन सुविधाओं को पाने का अधिकार है और उसे ये सुविधाएँ समतापरक ढंग से मिलनी चाहिए।

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