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राजस्थान की प्रमुख हवेलिया - Rajasthan ke Pramukh Haveliya

राजस्थान की प्रमुख हवेलिया - Rajasthan ke Pramukh Haveliya

 राजस्थान की प्रमुख हवेलिया - Rajasthan ke Pramukh Haveliya - नमस्कार दोस्तों India GK में आपका स्वागत है आज हम राजस्थान की प्रमुख हवेलिया - Rajasthan ke Pramukh Haveliya, राजस्थान की तापीय परियोजना के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी आपके लिए लेकर आए हैं यह पोस्ट Rajasthan GK से संबंधित है राजस्थान की प्रमुख हवेलिया - Rajasthan ke Pramukh Haveliya का उल्लेख इस में किया गया है

राजस्थान की प्रमुख हवेलिया

राजस्थान की प्रमुख हवेलिया - Rajasthan ke Pramukh Haveliya
राजस्थान की प्रमुख हवेलिया - Rajasthan ke Pramukh Haveliya

हवेली शब्द का शाब्दिक अर्थ 'बंद जगह' होता है जिसका प्रयोग भारत में पहली बार प्रयोग राजस्थान में) सामान्यत: किसी ऐतिहासिक और वास्तुशिल्प महत्ता के निजी आवास के लिए प्रयुक्त किया जाता है।

ध्यातव्य रहे- सर्वाधिक हवेलियाँ नवलगढ़ में है, इसलिए नवलगढ़ को "हवेलियों का नगर व शेखावाटी की स्वर्ण नगरी / गोल्डन सिटी" कहते हैं, तो भित्ति चित्रों के लिए शेखावाटी की हवेलियाँ प्रसिद्ध है। शेखावाटी की विशिष्ट हवेलियों में 2 आंगन थे। प्रक्षेपित बालकनी राजस्थानी वास्तुकला का एक महत्वपूर्ण अंग है, जिसे सजावट और देखने वाले प्लेटफार्म के रूप में प्रयोग किया जाता था।

झुंझुनूं-

  • भागोरिया की हवेली, भगतों की हवेली, पोद्दार की हवेली, लालधर जी व धरका जी की हवेली- नवलगढ़ में
  • रामदेव चौखाणी की हवेली, सागरमल लाडियाँ की हवेली- मण्डावा में 
  • सेठ जयदयाल केडियां की हवेली, नाथूराम पोद्दार की हवेली, हीराराम बनारसी की हवेली, सीताराम सिंगतिया की हवेली- बिसाऊ में 
  • सोने-चांदी की हवेली- महनसर में 
  • केसरदेव की हवेली- झुंझुनूं में 
  • बिड़ला हवेली-पिलानी में। 

जैसलमेर

पटवों की हवेली (जैसलमेर)-गुमानचन्द पटवा ने पाँच बेटों में से प्रत्येक के लिए अलग-अलग मंजिलें बनवाने का आदेश दिया, जिसे बनने में 50 वर्ष लगे थे। यह जैसलमेर की सबसे पहली, सबसे महत्वपूर्ण और सबसे बड़ी हवेली कहते हैं। यह भारत, सिंध, यहूदी, मुगल स्थापत्य कला का सुन्दर नमूना है। विश्व की एकमात्र हवेली जिसकी खिड़कियाँ पत्थर की बनी हुई है। जैसलमेर की पटवों की हवेली अपनी नक्काशी व पत्थर में बारीक कटाई के कारण प्रसिद्ध है।

नथमल की हवेली-इसे जैसलमेर के प्रधानमंत्री नथमल ने बनवाया, था। जिसका निर्माण लालू और नाथा दो भाईयों ने किया था।

सालिमसिंह की हवेली- जैसलमेर के प्रधानमंत्री सालिम सिंह ने इस नौखण्डी हवेली का निर्माण करवाया। इस हवेली को "मोती महल" व "जहाज महल" भी कहते है। यह हवेली अपनी पत्थर के नक्काशी व महीन जालियों के लिए प्रसिद्ध है।

चूरू-

  • सुराणों के हवामहल (हवेली) 
  • रामविलास गोयनका की हवेली। 
  • मन्त्रियों की मोटी हवेली। 
  • 'दानचन्द चौपड़ा की हवेली' (सूजानगढ़)

बीकानेर-

बच्छावतों की हवेली, रामपुरिया हवेली, कोठारी हवेली, गुलेच्छा, सेठिया की हवेलियाँ

सीकर-

  • पंसारी की हवेली- श्री माधोपुर में। 
  • बिनाणियों की हवेली, रोनेडी वालों की हवेली, केड़िया एवं राठी की हवेली-लक्ष्मणगढ़ में 
  • खेमका सेठों की हवेली, गोयनका सेठी की हवेली-रामगढ़ में।

जोधपुर-

  • पुष्य हवेली - विश्व की एकमात्र हवेली जो एक ही नक्षत्र में बनी। 
  • बड़े मियाँ की हवेली 
  • लालचन्द ढड्डा की हवेली- फलौदी 
  • पच्चिसां हवेली 
  • राखी हवेली पोकरण हवेली

धौलपुर-

निहाल टॉवर (धौलपुर में स्थित घंटाघर)  

जयपुर

पुरोहित जी की हवेली। 

चूरसिंह जी की हवेली। 

रत्नाकार भट्ट पुण्डरीक की हवेली। 

मथुरा वालों की हवेली-इसे 'नक्कालों की हवेली ' भी कहते हैं। 

कोटा-

1.झाला जी की हवेली 2.जालिम सिंह की हवेली 3.बड़े देवता की हवेली। 

टोंक-

सुनहरी कोठी-इसे मुबारक महल भी कहते हैं। यह पूर्णतया इस्लामिक शैली में बनी हुई है। नवाब वजीउद्दौला खाँ द्वारा 1824 में शीशमहल के नाम से इसे बनवाया गया। इसका प्राचीन नाम जरगिनार था। इसकी दूसरी मंजिल नवाब मोहम्मद इब्राहिम अली खाँ ने 1870 ई. बनवाई थी, उस समय यह कोठी दीवान ए-खास नाम से जानी जाती थी

भीलवाड़ा –

बारहठ परिवार की हवेली शाहपुरा में स्थित है

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