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Rajasthan Pashudhan gk in Hindi | राजस्थान में पशु सम्पदा -20 वीं पशुगणना

Rajasthan Pashudhan gk in Hindi | राजस्थान में पशु सम्पदा -20 वीं पशुगणना

Rajasthan Pashudhan gk in Hindi | राजस्थान में पशु सम्पदा20 वीं पशुगणना के अनुसार राजस्थान में कुल पशुधन 56.8 मिलियन(5.68 करोड़) है। जो कि 2012 की 57.7 मिलियन(5.77 करोड़) था। इस प्रकार 2019 में कुल पशुओं की संख्या में 1.66 प्रतिशत की कमी देखी गई है। राजस्थान 56.8 मिलियन पशुओं के साथ भारत में दूसरे स्थान पर है।



Rajasthan Pashudhan gk in Hindi | राजस्थान में पशु सम्पदा -20 वीं पशुगणना

  • विभाग- राजस्व मंडल (अजमेर) पशुगणना प्रति पांच वर्ष में एक बार होती है। 
  • प्रथम पशुगणना- 1919 से 1920 
  • नवीनतम पशुगणना- 2019 (20वीं) 
  • नवीनतम पशुगणना अनुसार कुल पशु- 567.75 लाख 
  • पशुगणना में पशुओं की संख्या में कमी आयी है। = 1.61 प्रतिशत 

20 वीं पशुगणना में पशुसम्पदा

सर्वाधिक

सबसे कम

 

1. बाडमेर

1. धौलपुर

2. जोधपुर

2. कोटा

3. जयपुर

3. सवाईमाधोपुर

4. उदयपुर

4. बारां



  • 20वीं पशु गणना में राजस्थान में पशु सम्पदा देश की कुल पशु सम्पदा का - 10.60 प्रतिशत

20वीं पशुसम्पदा के अनुसार राजस्थान में पाये जाने वाले सर्वाधिक पशु-

सर्वाधिक पशु

प्रतिशत

बकरी

36.70 प्रतिशत

 

गाय

24.50 प्रतिशत

 

भैंसे

24.11 प्रतिशत

 

भेंड़

13.92 प्रतिशत

 

नोट:- भारत की पशु सम्पदा जिसमें राजस्थान प्रथम है ऊँट, गधा, बकरी इत्यादि

20वीं पशुसम्पदा के अनुसार राजस्थान के पशुघनत्व -166

सर्वाधिक

 

सबसे कम

 

डुंगरपुर -433

जैसलमेर -62

बांसवाड़ा -386

बीकानेर -90

दौसा -308

बारां -110

जयपुर -208

चुरू -117

20वीं पशुगणना में सर्वाधिक बढ़ोतरी वाले पशु-

संख्या के आधार

 

प्रतिशत के आधार

 

1.भैंस

5.53 प्रतिशत

2.गाय

4.41 प्रतिशत

 

20वीं पशुगणना में सर्वाधिक कमी वाले पशु-

संख्या के आधार

प्रतिशत के आधार

 

 

1.भेंड़

1.गधा- 71.31 प्रतिशत

2. बकरी

2. खच्चर- 60.33 प्रतिशत

3. ऊँट

3.सुअर- 34.87 प्रतिशत

4.. सुअर

4. ऊँट-34.69 प्रतिशत

5. गधा

5.भेंड़-12.95 प्रतिशत

राजस्थान की पशु नस्लें

1.18 वीं पशुधन गणना (2007) पहली बार पशुओं की नस्ल के आधार पर की गई थी।

(1) बकरी- सर्वाधिक- बाड़मेर

बकरी की नस्ल

 

क्षेत्र

 

विशेष

 

मारवाड़ी एंव लोही

उत्तर पश्चिमी राजस्थान

मांस के लिए प्रसिद्ध है।

जखराना या अलवरी

अलवर

सर्वाधिक दूध देने वाली बकरी की नस्ल

शेखावाटी

सीकर, झुंझनू

बिना सींग बकरी यह काजरी वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई नस्ल है।

 

परबतसरी

नागौर, अजमेर, टोंक

अच्छा दूध देने वाली नस्ल

 

बारबरी

 

पूर्वी राजस्थान

 

सर्वाधिक सुन्दर बकरी की नस्ल

 

सिरोही

सिरोही जालौर

मांस के लिए प्रसिद्ध है।

 

जमनापरी

 

हाड़ौती

मांस व दूध के लिए प्रसिद्ध है।

 

नोट:- वरुण गांव (नागौर) की बकरियाँ सर्वश्रेष्ठ नस्ल की मानी जाती हैं।

2.गौवंश-सर्वाधिक- बीकानेर,जोधपुर

गौवंश की नस्ल

 

क्षेत्र

विशेष

राठी

बीकानेर, श्रीगंगानगर, जैसलमेर

 

सर्वाधिक दूध देने के कारण

राजस्थान की कामधेनु

 

 

थारपारकर

जैसलमेर, बाडमेर, जोधपुर

 

सिंध प्रान्त (पाकिस्तान की नस्ल )

 

गिर

अजमेर, भीलवाड़ा, चित्तौडगढ़

 

मूलत: गुजरात की नस्ल

 

नागौरी

नागौर

नागौरी बेल दौड़ने में भारवहन में तथा कृषि कार्यों में सर्वश्रेष्ठ माने जाते है।

 

कांकरेज

 

बाडमेर, जालौर

 

मूल स्थान गुजरात

 

मेवाती

अलवर, भरतपुर

 

बोझा ढोने हेतु

 

हरियाणवी

सीकर, झुंझुनू

 

मूल स्थान हरियाणा

मालवी

दक्षिण पूर्वी राजस्थान

 

मूल स्थान मालवा (मध्यप्रदेश)

 

सांचौरी

जालोर सिरोही

 

 

-

विदेशी नस्लें

1.जर्सी-

मूल स्थान- अमेरिका

2. रेड डेन-

मूल स्थान- डेनमार्क

3. हॉलिस्टिन-

मूल स्थान- हॉलैंड और अमेरिका

विशेषताएँ- शरीर पर काले और सफेद चकते सर्वाधिक दूध देने वाली गाय की नस्ल

(3) भैंस

भैंस की नस्ल

 

क्षेत्र

 

विशेष

 

1. मुर्रा (खुडी)

 

पूर्वी राजस्थान

 

राजस्थान में सर्वाधिक पाए जाने वाली व सर्वाधिक दूध देने वाली नस्ल

 

2. सूरती

 

उदयपुर, जालौर सिरोही

 

मूल स्थान- गुजरात

3.जाफराबादी

 

दक्षिण पश्चिमी राजस्थान

 

मूल स्थान- गुजरात

4.मेहसाना

 

दक्षिण पश्चिमी राजस्थान

मूल स्थान-गुजरात

5.भदावरी

 

पूर्वी राजस्थान

 

मूल स्थान-उत्तर प्रदेश

सर्वाधिक वसा वाला दूध

 

 

(4) भेड़- सर्वाधिक- बाडमेर

भेड़ की नस्ल

 

क्षेत्र

विशेष

मालपुरी

 

जयपुर, टोंक, सवाई माधोपुर

 

ऊन मोटी होने के कारण गलीचों के लिए उपर्युक्त

चोकला

 

झुंझनू, सीकर, बीकानेर

 

सर्वश्रेष्ठ किस्म की ऊन प्राप्त होती है,इसे भारत की मेरिनो कहा जाता है।

सोनाडी / चनोथर

 

उदयपुर, डूंगरपुर, चित्तौडगढ़

 इसके कान सर्वाधिक लम्बे होते हैं।

नाली

हनुमानगढ़, गंगानगर

घग्घर नदी के क्षेत्र में पाई जाने वाली नस्ल

पूगल

 

बीकानेर

 

मगरा

 

बीकानेर

इसे बीकानेरी चोकला कहा जाता है।

मारवाड़ी

जोधपुर, बाड़मेर, नागौर

 

राजस्थान में सर्वाधिक पाए जाने वाली भेड की नस्ल

जैसलमेरी

जैसलमेर, जोधपुर

सर्वाधिक ऊन इसी भेड़ की नस्ल से प्राप्त होती है।

खैरी

 

जोधपुर, पाली, नागौर

इसकी ऊन गलीचों के लिए उपयुक्त होती है।

भेड़ की विदेशी नस्लें

  1. रूसी मैरिनो- टोंक, जयपुर सीकर
  2. रेम्बुल- टॉक
  3. डोरसेट- टॉक
  4. कोरिडेल- चित्तौड़गढ़

(5) ऊँट सर्वाधिक जैसलमेर चित्तौड़गढ

पशु की नस्ल

 

क्षेत्र

विशेष

बीकानेरी

बीकानेर

 

बोझा ढोने के लिए

नाचना

जैसलमेर

सुंदरता, दौड़ के लिए प्रसिद्ध

गोमठ

जोधपुर

ऊँट सवारी के लिए प्रसिद्ध है

(6 )अश्व- सर्वाधिक -बीकानेर

नस्ल

क्षेत्र

विशेषताएं

मालाणी

बाड़मेर

सर्वश्रेष्ठ घोड़े की नस्ल

 

मारवाड़ी

पश्चिमी राजस्थान

 

 

काठियावाड़ी

बाड़मेर, जालौर

 

इस नस्ल के घोड़े का सिर अरबी घोड़े

जैसा होता है।

 

(7) गधा- सर्वाधिक- बाड़मेर
(8) कुक्कुट - सर्वाधिक अजमेर उदयपुर (नस्लें - वनराजा, असील, कड़कनाथ, ग्रामप्रिया)
(9) सुअर- सर्वाधिक- जयपुर, भरतपुर
(10) खच्चर- सर्वाधिक- अलवर

राजस्थान के प्रमुख पशु मेले

पशु मेला

स्थान

पशु गोवंश

श्री बलदेव पशु मेला

मेड़ता (नागौर)

नागौरी

श्री तेजाजी पशु मेला

नागौर

नागौरी

श्री रामदेव पशु मेला

मानासर (नागौर)

नागौरी

श्री मल्लीनाथ पशु मेला

तिलवाड़ा (बाड़मेर)

थारपारकर कांकरेज

चंद्रभागा पशु मेला

झालरापाटन (झालावाड़)

मालवी

श्री गोमतीसागर पशु मेला

झालरापाटन (झालावाड़)

मालवी

पशु मेला

भरतपुर

हरियाणवी

गोगामेड़ी पशु मेला

हनुमानगढ़

हरियाणवी

शिवरात्रि पशु मेला

करौली

हरियाणवी

कार्तिक पशु मेला

पुष्कर

गिर

 

पशु प्रजनन एंव अनुसन्धान केंद्र

प्रजनन एंव अनुसन्धान केंद्र

स्थान

राष्ट्रीय ऊँट अनुसन्धान केंद्र

जोड़बीड (बीकानेर)

केंद्रीय पशु अनुसन्धान केंद्र

सूरतगढ़ (गंगानगर)

भेड़ एवं ऊन अनुसन्धान केंद्र

 

अविकानगर (टोंक)

भैंस अनुसन्धान केंद्र

वल्लभ नगर (उदयपुर)

भैंस प्रजनन केंद्र

डग (झालावाड़), कुम्हेर (भरतपुर)

बुल मदर फार्म

 

चाँदन गाँव (जैसलमेर)

बकरी प्रजनन केंद्र

 

रामसर (अजमेर)

सूअर प्रजनन केंद्र

 

अलवर

अश्व प्रजनन व अनुसन्धान केंद्र

 

केरु (जोधपुर)

 

पशु विकास से संबंधित प्रमुख योजनाएं और संस्थान

1. गोपाल योजना-

शुरुआत- 2 अक्टूम्बर, 1990

उद्देश्य- पशुधन पालन के आर्थिक विकास के लिए ग्रामीण युवाओं को शामिल करके पशुओं की नस्लों में सुधार करना और युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करना।

2. कामधेनु योजना -

शुरुआत- 1997 - 1998

उद्देश्य- गोवंश संबंधित तकनीकों के आधार पर पशु प्रजनन फार्मों की स्थापना करना ।

3. ADMAS (Animal Diseases Monitoring and Surveillance) स्कीम-

शुरुआत -1999

उद्देश्य - ICAR (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) के माध्यम से गाय और भैंस की नस्लों को रोग मुक्त बनाना।

4. राजीव गांधी कृषि और पशुपालन विकास मिशन-

शुरुआत- 19 जनवरी 2010 

उद्देश्य- पशु विकास नीति में निर्धारित उद्देश्यों को पूरा करना।

5.मुख्यमंत्री पशुधन निःशुल्क दवा योजना -

शुरुआत - 15 अगस्त, 2012

उद्देश्य- कराना। राज्य सरकार द्वारा पशु विकास के लिए आवश्यक दवाइयाँ निःशुल्क उपलब्ध

6. अविका कवच योजना-

शुरुआत- 2004, पुनः 2009 पुनः 2018

यह भेड़ों की बीमा योजना है, जिसके माध्यम से एस.सी. / एस.टी. और बी.पी.एल. को बीमा प्रीमियम पर 80 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान की जाएगी अन्य पशुपालको के लिए 70 प्रतिशत अनुदान प्रदान किया जाएगा।

7. भामाशाह पशु बीमा योजना –

  1. इसमें बीमा एक या तीन साल का होगा।
  2. बीमा राशि में बीपीएल / एस.सी. / एस. टी. को 70 प्रतिशत एवं शेष पशु पालकों को 50 प्रतिशत अनुदान दिया जायेगा।
  3. बीमा राशि गाय- 40000 रूपये
  4. भैंस-50000 रूपये
  5. भेड़ / बकरी / सूअर (10 यूनिट) - 50000 रूपये
  6. ऊंट / घोड़ा / गधा 50000 रूपये
  7. एक परिवार अधिकत्तम 5 बड़े और 50 छोटे पशुओं का बीमा करवा सकता है।

अन्य महत्वूपर्ण तथ्य

  • आईबोमिक्स यह काजरी वैज्ञानिकों द्वारा विकसित एक रासायनिक मिश्रण है। यह मिश्रण बकरियों और भेड़ों को पानी में घोल कर पिलाने से दूध उत्पादन में वृद्धि होती है।
  • गाय भैंस प्रजनन नीति 2014-15
  • राजस्थान पशु विकास बोर्ड 25-03-1998 में जयपुर में स्थापित किया गया है।
  • राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय बीकानेर 2010
  • हिमकृत वीर्य बैंक बस्सी जयपुर (14 अगस्त, 2007) में स्थापित किया गया ।
  • गोमूत्र रिफाइनरी पथमेड़ा (जालोर)

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